Jan. 25, 2025
ज्योतिषशास्त्र ने आसानी से समझने के लिए हर नक्षत्र के चार-चार भाग किए हैं, जिन्हें प्रथम चरण, दूसरा चरण, तृतीय चरण व चतुर्थ चरण का नाम दिया गया है।
नक्षत्रों के चरणाक्षर
हरेक नक्षत्र के जो 4-4 चरण होते हैं, उनमें से प्रत्येक नक्षत्र के प्रत्येक चरण को एक-एक नक्षत्र ज्योतिष शास्त्र ने निर्धारित कर दिया है जिस नक्षत्र के जिस चरण में जिस व्यकित का जन्म होता है, उसका नाम उसी जन्मकालीन नक्षत्र के चरणाक्षर पर रखा जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी भी व्यक्ति का जन्म अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में होता है तो उसका नाम इसी नक्षत्र के दूसरे चरण के अक्षर चे से रखा जाएगा। जैसे चेतन्य, चेतक, चेरम आदि। किस नक्षत्र के कौन कौन से अक्षर होते हैं इसे इस टेबल के अनुसार अच्छी तरह से समझा जा सकता है। Nakshatron ke charan 05-02-2025
जिस नक्षत्र के चरण में बच्चे का जन्म हुआ होता है उसी चरण के अक्षर पर नामकरण करने का विधान है। उसी अक्षर पर नामकरण किया जाता है। जिस तिथी पर बच्चे का जन्म होता है उस दिन का पंचांग हम देखेंगे। उस दिन जिस नक्षत्र या राशि पर चंद्रमा होगा उसी के अनुसार बच्चे का नाम रखा जाएगा। पंचाग में नक्षत्र कब शुरु हुआ उसका समय लिखा होता है और उस समय को हम चार भागों में बांट सकते हैं। मान लो बच्चे का जन्म दिन के 12 बजे हुआ है और उस दिन भरणी नक्षत्र था। जो सुबह 10 बजे से शुरु था। हर नक्षत्र चरण लगभग 6 घंटे का होता है। यानि 3 बजे तक भरणी का प्रथम चरण था। बच्चे का जन्म 3 बजे के बाद हुआ तो दूसरा चरण और रात्रि 8 बजे के बाद तीसरा तथा रात्रि 1 बजे के बाद चौथा चरण शुरु होगा। आप अधिक जानकारी के लिए पंचांग देखें यदि आपको फिर भी नामकरण के बारे में कोई संशय हो तो आप ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं। राशि के अनुसार नामाक्षर भी तालिका में दिए गए हैं। Nakshatron ke charan नक्षत्र लिस्ट-:
नक्षत्र -Constellation | चरणाक्षर – 1st Letter | वश्य – Vashya | योनि -Yoni | गण -Gana | नाड़ी -Nadi |
अश्विनी | चू,चे,चो,ला | चतुष्पद | अश्व | देव | आदि |
भरणी | ली,लू,ले,लो | चतुष्पद | गज | मनुष्य | मध्य |
कृत्तिका | अ,इ,उ,ए | चतुष्पद | मेढ़ा | राक्षस | अन्त्य |
रोहिणी | ओ,वा,वी,वू | चतुष्पद | सर्प | मनुष्य | अन्त्य |
मृगशिरा | वे,वो,का,की | पहले दो चरण चतुष्पद,बाद के दो चरण मनुष्य | सर्प् | देव | मध्य |
आर्द्रा | कु,घ,ड़,छ् | मनुष्य | श्वान | मनुष्य | अदि |
पुनर्वसु | के,को,हा,ही | पहले तीन चरण मनुष्य, बाद का एक चरण जलचर | मार्जार | देव | आदि |
पुष्य | हू,हे,हो,डा | जलचर | मेढा | देव | मध्य |
अश्लेषा | डी,डू,डे,डो | जलचर | मार्जार | राक्षस | अन्त्य |
मघा | मा,मी,मू,मे | चतुष्पद | मूषक | राक्षस | अन्त्य |
पूर्वाफाल्गुनी | मो,टा,टी,टू | चतुष्पद | मूषक | मनुष्य | मध्य |
उत्तराफाल्गुनी | टे,टो,पा,पी | पहला चरण चतुष्पद, बाकी तीन मनुष्य | गौ | मनुष्य | आदि |
हस्त | पू,ष,ण,ठ | मनुष्य | महिष | देव | आदि |
चित्रा | पे,पो,रा,री | मनुष्य | व्याघ्र | राक्षस | मध्य |
स्वाती | रू,रे,रो,ता | मनुष्य | महिष | देव | अन्त्य |
विशाखा | ती,तू,ते,तो | पहले तीण चरण मनुष्य, बाद का एक चरण कीट | व्याघ्र | राक्षस | अन्त्य |
अनुराधा | ना,नी,नू,ने | कीट | मृग | देव | मध्य |
ज्येष्ठा | नो,या,यी,यू | कीट | मृग | राक्षस | आदि |
मूल | ये,यो,भा,भी | मनुष्य | श्वान | राक्षस | आदि |
पूर्वाषाढ़ा | भू,ध,फ,ढ़ | पहले दो चरण मनुष्य, बाद के दो चरण चतुष्पद | वानर | मनुष्य | मध्य |
उत्तराषाढ़ा | भे,भो,जा,जी | चतुष्पद | नकुल | मनुष्य | अन्त्य |
अभिजित | जु,जे,जो,ख | कोई नहीं है | नकुल | कोई नहीं | कोई नहीं |
श्रवण | खी,खू,खे,खो | पहले दो चरण चतुष्पद, बाद के दो चरण जलचर | वानर | देव | अन्त्य |
धनिष्ठा | गा,गी,गू,गे | पहले दो चरण जलचर, बाद के दो चरण मनुष्य | सिंह | राक्षस | मध्य |
शतभिषा | गो,सा,सी,सू | मनुष्य | अश्व | राक्षस | आदि |
पूर्वाभाद्रपद | से,सो,दा,दी | पहले तीन चरण मनुष्य,बाद का एक चरण जलचर | सिंह | मनुष्य | आदि |
उत्तराभाद्रपद | दू,थ,झ,ण | जलचर | गौ | मनुष्य | मध्य |
रेवती | दे,दो,चा,ची | जलचर | गज | देव | अन्त्य |
भारतीय ज्योतिष में नक्षत्रों का ग्रहों के समान ही विशेष महत्व है। आकाश मंडल में 27 नक्षत्र हैं जिनके विभिन्न आकार हैं ये आकार पशु पक्षियों की तरह भी प्रतीत होते हैं। ये 27 नक्षत्र हैं। ये सभी नक्षत्र इनमें जन्म लेने वाले जातकों के जीवन में बहुत ही बड़ा प्रभाव डालते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि पुराणों में इन नक्षत्रों को दक्ष प्रजापति की पुत्रियां माना जाता है। जिस नक्षत्र में जातक जन्म लेता है उस नक्षत्र का उसके जीवन में प्रभाव रहता है। किसी भी नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक उस नक्षत्र के गुण-दोष के अनुसार ही होता है। हर मनुष्य का स्वभाव, गुण-धर्म, जीवन शैली जन्म नक्षत्र से जुड़ी है ऐसा भारतीय ज्योतिषियों का मानना। जिस नक्षत्र में जातक जन्म लेता है वही नक्षत्र उसके स्वभाव और जीवन पर भी अपना असर छोड़ता है।
Nakshatron ke charan- भारतीय ज्योतिष में नक्षत्र के सिद्धांत स्पष्ट तौर पर बताए गए हैं। नक्षत्र के सिद्धांत प्रमाणित व अचूक हैं। आपको पता होगा कि चन्द्रमा 27.3 दिन में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है। इस एक मासिक चक्र के दौरान चन्द्रमा जिन मुख्य सितारों के समूहों के बीच से गुजरता है, इन्ही तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। जब चन्द्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा कर रहा होता है तो इस दौरान वह जिन तारा समूहों के पास से होकर गुजरता है, में 27 विभिन्न तारा-समूह बनते हैं। इन्ही तारों के विभाजित समूह को नक्षत्र या तारामंडल कहा जाता है। प्रत्येक नक्षत्र एक विशेष तारामंडल या तारों के एक समूह का प्रतिनिधि होता है। इस प्रकार यह भी कहा जा सकता है कि नक्षत्रों तारों का समूह है। हर नक्षत्र विशेष प्रकार की आकृति बनाता है या आकृति में है।
जिस प्रकार प्राचीन काल में ज्योतिषियों व गणनाकारों ने राशियों को सरलता से समझने के लिए इनको 12 भागों में बाँट दिया था, इसी प्रकार आकाश को 27 नक्षत्रों में। इन नक्षत्रों की गणना ज्योतिष में महत्वपूर्ण है। एक नक्षत्र को एक सितारे के समान समझा जा सकता है। सभी नक्षत्रों को 4 पदों में या 3 डिग्री और 20 मिनट के अन्तराल में बांटा गया है। आकाश मंडल के 9 ग्रहों को 27 नक्षत्रों का अर्थात हर ग्रह को तीन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। इस प्रकार प्रत्येक राशि में 9 पद शामिल हैं। चंद्रमा का नक्षत्रों से मिलन ‘नक्षत्र योग’ और ज्योतिष को ‘नक्षत्र विद्या’ भी कहा जाता है।
सबसे खराब नक्षत्र कौन सा है- सबसे खराब व परेशानी देने वाला नक्षत्र मूल को माना जाता है। अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल एवं रेवती नक्षत्र को (गंडमूल) नक्षत्र कहा जाता है। इन नक्षत्रों के समय जन्म लेने वाले जातक स्वयं तथा अपने माता-पिता, मामा आदि के लिए कष्टदायक बताएं गए हैं।
ALSO READ: मूल नक्षत्र कौन-कौन से हैं इनके प्रभाव क्या हैं और उपाय कैसे होता है- Gand Mool Dates 2025
जैसा कि हम जानते हैं कि हर नक्षत्र को 4 भागों में बांटा गया है। ऐसा कह सकते हैं कि एक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। नक्षत्र के चरण को पाद भी कहा जाता है। हर चरण का मान 130- 20′ ÷ 4 = 3 अंश 20 कला होता है। इस प्रकार हम जान सकते हैं कि 27 गुणा 4 बराबर है 108 यानि 27 नक्षत्रों में कुल 108 चरण होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक राशि में 108 ÷ 12 = 9 चरण होंगे। हम जानते हैं कि चंद्र लगभग 27 दिन 7 घंटे 43 मिनट में पृथ्वी की नाक्षत्रिक परिक्रमा करता है या पृथ्वी का चक्कर लगाता है। नक्षत्रों की कुल संख्या भी 27 ही है। इस प्रकार चंद्र लगभग 1 दिन (60 घटी या 24 घंटे) या लगभग 24 घंटे में एक नक्षत्र का भोग करता है। एक दिन में 24 घंटे होते हैं और एक नक्षत्र में 4 चरण होते हैं। इस प्रकार 24 घंटों को 4 तो एक नक्षत्र का चरण लगभग 6 घंटे का होता है। चंद्रमा कम गति के कारण एक नक्षत्र को अपनी कम गति से पार करने में लगभग 67 घटी का समय लेता है तथा अपनी अधिकतम गति से पार करने में लगभग 52 घटी का समय ले सकता है। एक घटी 24 मिनट के समान होती है।
What is Gandmool in astrology? in English
1.अश्विनी
2. भरणी
3. कृत्तिका
4. रोहिणी
5 मृगशिरा
6. आद्रा
7.पुनर्वसु
8.पुष्य
9. अश्लेशा
10. मघा
11. पूर्वाफाल्गुनी
12. उत्तराफाल्गुनी
13.हस्त
14. चित्रा
15. स्वाति
16.विशाखा
17.अनुराधा
18.ज्येष्ठा
19 मूल
20.पूर्वाषाढा
21. उत्तराषाढा
22. श्रवण
23. धनिष्ठा
24. शतभिषा
25. पूर्वाभाद्रपद
26. उत्तराभाद्रपद और
27. रेवती।
1 अश्वनी नक्षत्र- अश्विनी नक्षत्र संपूर्ण फलादेश राशि चक्र में 00 अंश 13 अंश 20 कला के विस्तार वाला क्षेत्र अश्विनी नक्षत्र कहलाता है। अश्विनी नाम दो अश्विन से बना है। ग्रीक में इसको कस्टर और पोलुक्स, अरब मंजिल में अल शरतैन, चीन के सियु में ल्यु कहते हैं। कालब्रुक और बाद की धरणाओं के अनुसार अश्विनी नक्षत्र दो अश्व मुख के प्रतीक तीन तारों का समूह है। देवता-अश्विनी कुमार स्वामी-केतु राशि-मेष 00 अंश से 13 अंश 20 कला भारतीय खगोल में अश्विनी प्रथम नक्षत्र है। मुहूर्त ज्योतिष में इसे लघु क्षिप्र नक्षत्र कहते हैं। अश्निवी की जाति वैश्य, योनि अश्व, योनि वैर महिष गण देव, नाड़ी आदि है। जातक जीवन में शीध्र उन्नति करता है। जातक हठी, शांत, निश्चल, कार्य को अगोचर रूप से करने वाला होता है। ये लक्षण 14 से 20 अप्रेल अश्विनी में उच्च का सूर्य और 14 से 28 अक्टूम्बर स्वाति में नीच का सूर्य मे विशेष परिलक्षित होते हैं।
1- राशि स्वामी,
2- नक्षत्र स्वामी,
3- चरण स्वामी।
अश्विनी नक्षत्र का प्रथम चरण- इसमे मंगल, केतु और मंगल का प्रभाव है। सूर्य पर शनि की दृष्टि हो, तो जातक निर्धन और कार्य मे उसका मन नही होता है। अश्विनी सूर्य चरण फल प्रथम चरण – जातक वाकपटु, आत्मविश्वासी, उत्साही, शासकीय संस्था में उच्च पदासीन, समाज में शक्तिशाली, तीर्थयात्री, स्पष्टवादी होता है।
अश्विनी नक्षत्र का द्वितीय चरण- जातक छोटी उम्र मे धनवान हो जाता है किन्तु क़ानूनी उलझन में धन खोना पड़ता है। विदेश में रहने पर निर्धन और अस्वस्थ, शासकीय सहायता प्राप्त होता है। परिवार में विरोधाभास होता है।
अश्विनी नक्षत्र का तृतीय चरण – जातक धनवान किन्तु समाज मे प्रतिष्ठाहीन, कृषि से सम्पत्तिवान, सम्पदा-जमीन-जायदाद का दलाल, कर्मठ, स्व परिश्रम से व्यवसाय में उन्नत, साधारण स्वस्थ होता है। इसका पिता क़ानूनी मामले में धन खोने वाला होता है।
अश्विनी नक्षत्र चतुर्थ चरण- जातक आध्यात्मिक और दैविक ज्ञानी, कृषि से सम्पत्तिवान, परिवार प्रिय, सेनाध्यक्ष या नेता अत्यधिक धनी नही पर समाज में प्रतिष्ठित, यात्रा प्रेमी, दानी, भूखो को निशुल्क आहार कराने वाला होता है। अश्विनी नक्षत्र के अक्षर- चू,चे,चो,ला
Gandmool Dates 2025
Start End
Date Hrs Min Date Hrs Min
January,2025
Start: 6-Jan 19:06 End 8-Jan 16:29
Start:15-Jan 10:28 End 17-Jan 12:45
Start:24-Jan 31:07:00 End :27-Jan 9:02
February,2025
Start: 2-Feb 24:52:00 End : 4-Feb 21:49
Start: 11-Feb 18:34 End : 13-Feb 21:07
Start: 21-Feb 15:54 End : 23-Feb 18:43
March,2025
Start: 2-Mar 8:59 End : 3-Mar 28:30:00
Start: 10-Mar 24:51:00 End : 12-Mar 28:05:00
Start: 20-Mar 23:31 End : 22-Mar 27:23:00
Start: 29-Mar 19:26 End : 31-Mar 13:45
April,2025
Start: 7-Apr 6:25 End : 9-Apr 9:57
Start: 16-Apr 29:55:00End : 19-Apr 10:21
Start: 26-Apr 6:27 End :27-Apr 24:39:00
May,2025
Start: 4-May 12:53 End : 6-May 15:52
Start: 14-May 11:47 End : 16-May 16:07
Start: 23-May 16:02 25-May 11:12
Start: 31-May 21:07 End : 2-Jun 22:55
June,2025
Start: 10-Jun 18:02 End :12-Jun 21:57
Start: 19-Jun 23:17 End :21-Jun 19:50
Start: 28-Jun 6:36 End : 30-Jun 7:21
July,2025
Start: 7-Jul 25:12:00 End : 9-Jul 28:50:00
Start: 16-Jul 28:50:00 End : 18-Jul 26:14:00
Start: 25-Jul 16:01 End : 27-Jul 16:23
August,2025
Start: 4-Aug 9:12 End : 6-Aug 13:00
Start: 13-Aug 10:32 End : 15-Aug 7:36
Start: 21-Aug 24:08:00 End : 23-Aug 24:55:00
Start: 31-Aug 17:27 End : 2-Sep 21:51
September,2025
Start: 9-Sep 18:07 End : 11-Sep 13:58
Start: 18-Sep 6:32 End : 20-Sep 8:06
Start: 27-Sep 25:08:00 End :30-Sep 6:17
October,2025
Start: 6-Oct 28:02:00 End : 8-Oct 22:45
Start: 15-Oct 12:00 End : 17-Oct 13:57
Start: 25-Oct 7:52 End : 27-Oct 13:27
November,2025
Start: 3-Nov 15:06 End : 5-Nov 9:40
Start: 11-Nov 18:18 End : 13-Nov 19:38
Start: 21-Nov 13:56 End : 23-Nov 19:28
Start: 30-Nov 25:11:00 End : 2-Dec 20:51
December,2025
Start: 8-Dec 26:53:00 End : 10-Dec 26:44:00
Start: 18-Dec 20:07 20- End : Dec 25:22:00
Start: 28-Dec 8:43 29- End :Dec 30:04:00
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Ganda Mool Nakshatra September 2025
January 2024
Ganda Mool Begins
Monday (08 January 2024) at 10:02 PM
Ganda Moola Ends
Wednesday (10 January 2024) at 07:39 PM
January 2024
Ganda Mool Begins
Wednesday (17 January 2024) at 04:37 AM
Ganda Moola Ends
Friday (19 January 2024) at 02:57 AM
January 2024
Ganda Mool Begins
Friday (26 January 2024) at 10:28 AM
Ganda Moola Ends
Sunday (28 January 2024) at 03:52 PM
February 2024
Ganda Mool Begins
Monday (05 February 2024) at 07:53 AM
Ganda Moola Ends
Wednesday (07 February 2024) at 06:27 AM
February 2024
Ganda Mool Begins
Tuesday (13 February 2024) at 12:35 PM
Ganda Moola Ends
Thursday (15 February 2024) at 09:25 AM
February 2024
Ganda Mool Begins
Thursday (22 February 2024) at 04:43 PM
Ganda Moola Ends
Saturday (24 February 2024) at 10:20 PM
March 2024
Ganda Mool Begins
Sunday (03 March 2024) at 03:54 PM
Ganda Moola Ends
Tuesday (05 March 2024) at 03:59 PM
March 2024
Ganda Mool Begins
Monday (11 March 2024) at 11:02 PM
Ganda Moola Ends
Wednesday (13 March 2024) at 06:24 PM
March 2024
Ganda Mool Begins
Wednesday (20 March 2024) at 10:38 PM
Ganda Moola Ends
Saturday (23 March 2024) at 04:27 AM
March 2024
Ganda Mool Begins
Saturday (30 March 2024) at 10:03 PM
Ganda Moola Ends
Monday (01 April 2024) at 11:11 PM
April 2024
Ganda Mool Begins
Monday (08 April 2024) at 10:12 AM
Ganda Moola Ends
Wednesday (10 April 2024) at 05:06 AM
April 2024
Ganda Mool Begins
Wednesday (17 April 2024) at 05:15 AM
Ganda Moola Ends
Friday (19 April 2024) at 10:56 AM
April 2024
Ganda Mool Begins
Saturday (27 April 2024) at 03:39 AM
Ganda Moola Ends
Monday (29 April 2024) at 04:48 AM
May 2024
Ganda Mool Begins
Sunday (05 May 2024) at 07:57 PM
Ganda Moola Ends
Tuesday (07 May 2024) at 03:32 PM
May 2024
Ganda Mool Begins
Tuesday (14 May 2024) at 01:04 PM
Ganda Moola Ends
Thursday (16 May 2024) at 06:13 PM
May 2024
Ganda Mool Begins
Friday (24 May 2024) at 10:10 AM
Ganda Moola Ends
Sunday (26 May 2024) at 10:35 AM
June 2024
Ganda Mool Begins
Sunday (02 June 2024) at 03:15 AM
Ganda Moola Ends
Tuesday (04 June 2024) at 12:04 AM
June 2024
Ganda Mool Begins
Monday (10 June 2024) at 09:39 PM
Ganda Moola Ends
Thursday (13 June 2024) at 02:11 AM
June 2024
Ganda Mool Begins
Thursday (20 June 2024) at 06:09 PM
Ganda Moola Ends
Saturday (22 June 2024) at 05:54 PM
June 2024
Ganda Mool Begins
Saturday (29 June 2024) at 08:49 AM
Ganda Moola Ends
Monday (01 July 2024) at 06:26 AM
July 2024
Ganda Mool Begins
Monday (08 July 2024) at 06:02 AM
Ganda Moola Ends
Wednesday (10 July 2024) at 10:15 AM
July 2024
Ganda Mool Begins
Thursday (18 July 2024) at 03:12 AM
Ganda Moola Ends
Saturday (20 July 2024) at 02:55 AM
July 2024
Ganda Mool Begins
Friday (26 July 2024) at 02:30 PM
Ganda Moola Ends
Sunday (28 July 2024) at 11:47 AM
August 2024
Ganda Mool Begins
Sunday (04 August 2024) at 01:26 PM
Ganda Moola Ends
Tuesday (06 August 2024) at 05:43 PM
August 2024
Ganda Mool Begins
Wednesday (14 August 2024) at 12:12 PM
Ganda Moola Ends
Friday (16 August 2024) at 12:43 PM
August 2024
Ganda Mool Begins
Thursday (22 August 2024) at 10:05 PM
Ganda Moola Ends
Saturday (24 August 2024) at 06:05 PM
August 2024
Ganda Mool Begins
Saturday (31 August 2024) at 07:39 PM
Ganda Moola Ends
Tuesday (03 September 2024) at 12:20 AM
September 2024
Ganda Mool Begins
Tuesday (10 September 2024) at 08:03 PM
Ganda Moola Ends
Thursday (12 September 2024) at 09:52 PM
September 2024
Ganda Mool Begins
Thursday (19 September 2024) at 08:04 AM
Ganda Moola Ends
Saturday (21 September 2024) at 02:42 AM
September 2024
Ganda Mool Begins
Saturday (28 September 2024) at 01:20 AM
Ganda Moola Ends
Monday (30 September 2024) at 06:18 AM
October 2024
Ganda Mool Begins
Tuesday (08 October 2024) at 02:24 AM
Ganda Moola Ends
Thursday (10 October 2024) at 05:15 AM
October 2024
Ganda Mool Begins
Wednesday (16 October 2024) at 07:17 PM
Ganda Moola Ends
Friday (18 October 2024) at 01:26 PM
October 2024
Ganda Mool Begins
Friday (25 October 2024) at 07:39 AM
Ganda Moola Ends
Sunday (27 October 2024) at 12:23 PM
November 2024
Ganda Mool Begins
Monday (04 November 2024) at 08:03 AM
Ganda Moola Ends
Wednesday (06 November 2024) at 11:00 AM
November 2024
Ganda Mool Begins
Wednesday (13 November 2024) at 05:40 AM
Ganda Moola Ends
Friday (15 November 2024) at 12:32 AM
November 2024
Ganda Mool Begins
Thursday (21 November 2024) at 03:35 PM
Ganda Moola Ends
Saturday (23 November 2024) at 07:27 PM
December 2024
Ganda Mool Begins
Sunday (01 December 2024) at 02:23 PM
Ganda Moola Ends
Tuesday (03 December 2024) at 04:41 PM
December 2024
Ganda Mool Begins
Tuesday (10 December 2024) at 01:30 PM
Ganda Moola Ends
Thursday (12 December 2024) at 09:52 AM
December 2024
Ganda Mool Begins
Thursday (19 December 2024) at 12:58 AM
Ganda Moola Ends
Saturday (21 December 2024) at 03:47 AM
December 2024
Ganda Mool Begins
Saturday (28 December 2024) at 10:13 PM
Ganda Moola Ends
Monday (30 December 2024) at 11:57 PM
6. आर्द्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक का व्यक्तित्व- आर्द्रा नक्षत्र की राशि मिथुन है। जीवनभर राहु और बुध का प्रभाव रहता है। जातक राजनीति में अव्वल होते हैं और चतुराई से अपना मकसद पूरा करना जानते हैं। मधुर वाणी और वाकपटुता से ये लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। इस नक्षत्र के जातक का मस्तिष्क हमेशा क्रियाशील और सक्रिय रहता है। ये लोग सफलता हेतु साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति भी खुल कर अपनाते हैं। आम तौर पर प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में सक्रिय रहते हैं और अगर प्रत्यक्ष रूप से न भी रहें तो अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक हलकों में इनकी अच्छी पकड़ रहती है, ये राजनेताओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखते हैं। समाज में इनकी छवि बहुत अच्छी नहीं रहती और लोग इनके लिए नकारात्मक विचार रखने लगते हैं।
अपने आस-पास की घटनाओं के बारे में जागरूक और व्यापार करने की समझ इनकी महान विशेषता है। ये लोग इतने शातिर होते हैं कि सामने वाले के दिमाग में क्या चल रहा है उसे तुरंत जान लेते हैं। इन्हें आसानी से छला नहीं जा सकता। जातक निजी स्वार्थ को पूरा करने के लिए नैतिकता को भी छोड़ देते हैं।
आश्लेषा नक्षत्र का प्रथम चरण- लग्न या चंद्रमा, आश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो ऐसा जातक बड़े शरीर वाला, स्वच्छ आंखों से युक्त होता है। नज़रों में जादू व आकर्षण होता है। यह गौर वर्ण का होता है। सुंदर नाक एवं बड़े दांत होते हैं। बोलने में कुशल होता है। धनी एवं वाहनों से लाभ पाने वाला हो सकता है।
आश्लेषा नक्षत्र का दूसरा चरण- लग्न या चंद्रमा आश्लेषा नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो गोल मटोल होत है, बाल बिखरे से और कम रोम वाला होता है, दूसरों के घर रहने वाला हो सकता है, कौए के समक्ष आकृति हो सकती है. जातक पर रोग का प्रभाव भी जल्द हो सकता है।
आश्लेषा नक्षत्र का तीसरा चरण- लग्न या चंद्रमा आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण में जातक का सिर उभार वाला हो सकता है, योग्य रुप से काम न कर पाए. आकर्षक मुख एवं भुजाओं वाला होता है. धीमा चलने वाला होता है. त्वचा से संबंधी विकार परेशान कर सकते हैं , नाक थोड़ी चपटी हो सकती है.
आश्लेषा नक्षत्र का चौथा चरण (ashlesha nakshatra charan 4) – आश्लेषा नक्षत्र 4 चरण लग्न या चंद्रमा, आश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक गौरे रंग का एवं मछली के समान आंखों वाला होता है. शरीर में चर्बी अधिक हो सकती है। कोमल पैर ओर भारी जांघे हो सकती हैं, टखने और घुटने पतले होते हैं।
गंड मूल नक्षत्र आश्लेषा- आश्लेषा नक्षत्र के बारे में कहा जाता है कि अगर जातक का पहले पद में जन्म हुआ है तो माता को त्याग देता है, दूसरे पाये में पिता को त्याग देता है, तीसरे पाये में अपने बड़े भाई या बहन को और चौथे पाये में अपने को ही सात दिन, सात महीने, सात वर्ष के अन्दर सभी प्रभावों को दिखा देता है।
आश्लेषा नक्षत्र नाम अक्षर– डी,डू,डे,डो
10 मघा नक्षत्र: मघा नक्षत्र के चार चरण
मघा नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र है। सूर्य इसका स्वामी है जिसकारण जातक बहुत प्रभावी बन जाते हैं। इनके भीतर ईश्वरीय आस्था बह होती है। इनके भीतर स्वाभिमान की भावना प्रबल होती है और बहुत ही जल्दी इनका दबदबा भी कायम हो जाता है। ये कर्मठ होते हैं और किसी भी काम को जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करते हैं। आँखें विशेष चमक लिए हुए, चेहरा शेर के समान भरा हुआ एवं रौबीला होता है।
मघा नक्षत्र का प्रथम चरण
लग्न या चंद्रमा, मघा नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो ऐसा जातक अधिक क्रोधी स्वभाव का होता है। पतला पेट और नाक का अग्र भाग लालिमा युक्त होता है। बड़ा सिर व ऊंची मांसल छाती वाला। जातक बहादुर होता है।
मघा नक्षत्र का दूसरा चरण
लग्न या चंद्रमा, मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो जातक का विशाल व ऊंचा मस्तक होता है. तिरछे नैन नक्श, लम्बी भुजाएं होती हैं। उभरी हुई छाती और मोटी फैली हुई सी नाक होती है।
मघा नक्षत्र का तीसरा चरण Nakshatron ke charan
लग्न या चंद्रमा, मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो जातक भारी चौड़ी छाती वाला होता है, छाती पर अधिक बाल होते हैं, लाल आंखें, त्याग करने वाला होता है।
मघा नक्षत्र का चौतुर्थ चरण Nakshatron ke charan
लग्न या चंद्रमा, मघा नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक कोमल शरीर और त्वचा में चमक लिए होता है। आंखें बडी़ व पुतली काली होती है। कोमल केश वाला भारी हाथ पैर से युक्त तथा आवाज़ में थोड़ा रुखापन हो सकता है। इसका पेट कुछ मोटा होता है।
मघा नक्षत्र नाम अक्षर– मा,मी,मू,मे
11 पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक nakshatron ke charan
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में हुआ है तो आप ऐसे भाग्यशाली व्यक्ति हैं जो समाज में सम्माननीय हैं और जिनका अनुसरण हर कोई करना चाहता है। परिवार में भी आप एक मुखिया की भूमिका में रहते हैं। जातक को संगीत और कला की विशेष समझ होती है जो बचपन से ही दिखाई देने लगती है। ये लोग नैतिकता और ईमानदारी के रास्ते पर चलकर ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं। शांति पसंद होने की वजह से किसी भी तरह के विवाद या लड़ाई-झगड़े में पड़ना पसंद नहीं करते। इनके पास धन की मात्रा अच्छी खासी होती है जिसकी वजह से ये भौतिक सुखों का आनंद उठाते हैं। ये लोग अहंकारी प्रवृत्ति के होते हैं। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र नाम अक्षर– मो,टा,टी,टू
12 उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र Nakshatron ke charan
इस नक्षत्र में जन्मा जातक दूसरों के इशारों पर चलना पसंद नहीं करते और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भरपूर प्रयास करते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोग समझदार,बुद्धिमान, युद्ध विद्या में निपुण, लड़ाकू एवं साहसी होता है। आप देश और समाज में अपने रौबीले व्यक्तित्व के कारण पहचाने जाते हैं। ये दूसरों का अनुसरण नहीं करते अपितु लोग उनका अनुसरण करते हैं। नेतृत्व के गुण जन्म से ही होते हैं अतः आप अपना कार्य करने में खुद ही सक्षम होते हैं। सरकारी क्षेत्र में इनको सफ़लत मिलती है। एक काम को करने में काफी समय लगा देते हैं।
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के चरण अक्षर- टे,टो,पा,पी
13 हस्त नक्षत्र Nakshatron ke charan
यदि आपका जन्म हस्त नक्षत्र में हुआ है तो आप संसार को जीतने और उसपर शासन करने का पूरा पूरा सामर्थ्य एवं शक्ति रखते है। ये लोग बौद्धिक, मददगार, निर्णय लेने में अक्षम, कुशल व्यवसायिक गुणों वाले और दूसरों से अपना काम निकालने में माहिर माने जाते हैं। इन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधाएं मिलती हैं और इनका जीवन आनंद में बीतता है। दृढ़ता और विचारों की स्थिरता इनको आम आदमी से भिन्नता और श्रेष्ठता प्रदान करती है।
हस्त नक्षत्र 4 charan -:
हस्त नक्षत्र का प्रथम चरण- इस नक्षत्र के प्रथम चरण का मालिक मंगल देव है। हस्त नक्षत्र में पैदा हुआ जातक बलवान, साहसी, शूरवीर और ज्ञानी होता है। वह हर बात को तर्क के आधार पर अपनाता है और विचार-विमर्श करता है। ऐसा देखा गया है कि जब बुध की दशा होती है तो जातक को लाभ मिलता है और शुक्र की दशा में इसका भाग्योदय होता है। हस्त नक्षत्र के जातक को चंद्रमा भी उत्तम फल प्रदान करता है। जातक चंचल स्वभाव का भी हो सकता है।
हस्त नक्षत्र का दूसरा चरण- ऐसा देखा गया है कि इस चरण में पैदा हुआ जातक बीमारियों से घिरा रहता है। हस्त नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। ऐसा देखा गया है कि जातक को कई प्रकार की बीमारियां जैसे एलर्जी, चर्म रोग आदि होते हैं। बुध की दशा में कुछ राहत व लाभ मिलता है। शुक्र की दशा में भी भाग्योदय होता है जबकि चंद्रमा की दशा सामान्य ही रहती है।
हस्त नक्षत्र का तीसरा चरण- हस्त नक्षत्र का तीसरा चरण- जातक धनवान व समृद्ध होता है। इस चरण का स्वामी बुध होता है। लग्नेश बुध की दशा उत्तम मानी जाती है। शुक्र की दशा में भाग्य उदय होगा व चंद्रमा की दशा मिश्रित फल प्रदान करती है।
हस्त नक्षत्र का चौथा चरण- चौथे चरण में पैदा हुआ जातक धनवान होता है। लग्नेश बुध व शुक्र की दशा में भाग्योदय होता है। चंद्रमा जातक को मिश्रित फल देगा तथा सामान्य स्थिति रहेगी। इस चरण का स्वामी चंद्र देव होते हैं। 2024
हस्त नक्षत्र के नाम अक्षर- पू,ष,ण,ठ
14 चित्रा नक्षत्र
जातक के स्वभाव में आपको मंगल ग्रह का प्रभाव दिखाई दे सकता है। ये लोग आकर्षक व्यक्तित्व वाले एवं शारीरिक रूप से संतुलित मनमोहक एवं सुन्दर आँखों वाले, साज-सज्जा का शौक रखने वाले और नित नए आभूषण एवं वस्त्र खरीदने वाले होते हैं। हर किसी के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश करते हैं, इन्हें आप सामाजिक हितों के लिए कार्य करते हुए भी देख सकते हैं। ये लोग विपरीत हालातों से बिल्कुल नहीं घबराते और खुलकर मुसीबतों का सामना करते हैं।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक मोती के समान चमकते हैं अर्थात इनका स्वभाव और आचरण स्वच्छ होता है। ये लोग सात्विक और तामसिक दोनों ही प्रवृत्ति वाले होते हैं। एक आकर्षक चेहरे और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। आपका शरीर भीड़ से अलग सुडौल एवं भरा हुआ होता है। आप जैसा सोचते हैं वैसा करते हैं और दिखावा पसंद नहीं करते है। आप एक स्वतंत्र आत्मा के स्वामी है जिसको किसी के भी आदेश का पालन करना कतई पसंद नहीं। ये लोग राजनीतिक दांव-पेंचों को अच्छी तरह समझते हैं और अपने प्रतिद्वंदियों पर हमेशा जीत हासिल करते हैं। चित्रा नक्षत्र नाम अक्षर– पे,पो,रा,री
15 स्वाति नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक मोती के समान चमकते हैं अर्थात इनका स्वभाव और आचरण स्वच्छ होता है। ये लोग सात्विक और तामसिक दोनों ही प्रवृत्ति वाले होते हैं। एक आकर्षक चेहरे और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। आपका शरीर भीड़ से अलग सुडौल एवं भरा हुआ होता है। आप जैसा सोचते हैं वैसा करते हैं और दिखावा पसंद नहीं करते है। आप एक स्वतंत्र आत्मा के स्वामी है जिसको किसी के भी आदेश का पालन करना कतई पसंद नहीं। ये लोग राजनीतिक दांव-पेंचों को अच्छी तरह समझते हैं और अपने प्रतिद्वंदियों पर हमेशा जीत हासिल करते हैं। स्वाति नक्षत्र नाम अक्षर– रू,रे,रो,ता
16 विशाखा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक Nakshatron ke charan (Hindi)
यदि आपका जन्म विशाखा नक्षत्र में हुआ है तो आप शारीरिक श्रम के स्थान पर मानसिक कार्यों को अधिक मानते हैं। शारीरिक श्रम करने से आपका भाग्योदय नहीं होता। मानसिक रूप से आप सक्षम व्यक्ति है और कठिन से कठिन कार्य को भी अपनी सूझ-बूझ कर लेते हैं। पठन-पाठन के कार्यों में उत्तम साबित होते हैं ये लोग। ये लोग शारीरिक श्रम तो नहीं कर पाते लेकिन अपनी बुद्धि के प्रयोग से सभी को पराजित करते हैं। स्वभाव से ईर्ष्यालु परन्तु बोल चाल से अपना काम निकलने का गुण इनमे स्वाभाविक होता है। सामाजिक होने से इनका सामाजिक दायरा भी बहुत विस्तृत होता है। ये लोग महत्वाकांक्षी होते हैं और अपनी हर महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। विशाखा नक्षत्र नाम अक्षर–ती,तू,ते,तो
17 अनुराधा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक (Nakshatron ke charan)
इस नक्षत्र में जन्में लोग अपने आदर्शों और सिद्धांतों पर जीते हैं। इनका अधिकाँश जीवन विदेशों में बीतता है और विदेशों में रहकर ये धन और समाज में मान सम्मान दोनों कमाते है। ये लोग अपने गुस्से को नियंत्रित नहीं कर पाते इस कारण इन्हें कई बार बड़े नुकसान उठाने पड़ते हैं। ये लोग अपने दिमाग से ज्यादा दिल से काम लेते हैं और अपनी भावनाओं को छिपाकर नहीं रख पाते। ये लोग जुबान से थोड़े कड़वे होते हैं जिसकी वजह से लोग इन्हें ज्यादा पसंद नहीं करते। आप बहुत साहसी एवं कर्मठ व्यक्तित्व के स्वामी हैं। अनुराधा नक्षत्र नाम अक्षर- ना,नी,नू,ने
18 ज्येष्ठ नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक
गण्डमूल नक्षत्र की श्रेणी में होने की वजह से यह भी अशुभ नक्षत्र ही माना जाता है। आप दृढ़ निश्चयी और मज़बूत व्यक्तित्व के स्वामी है। आप नियम से जीवन व्यतीत करना पसंद करते हैं। आप शारीरिक रूप से गठीले और मज़बूत होते हैं तथा कार्य करने में सैनिकों के समान फुर्तीले होते हैं। आपकी दिनचर्या सैनिकों की तरह अनुशासित और सुव्यवस्थित होती है। खुली मानसिकता वाले ये लोग सीमाओं में बंधकर अपना जीवन नहीं जी पाते। ये लोग तुनक मिजाजी होते है और छोटी-छोटी बातों पर लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं।
ज्येष्ठा नक्षत्र नाम अक्षर- नो,या,यी,यू
20 पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक- Nakshatron ke charan
पूर्वाषाढा में जन्म लेने वाला जातक थोडा नकचढ़ा और उग्र स्वभाव के होने बावजूद कोमल हृदयी और दूसरों से स्नेह रखने वाला होता है। ये लोग ईमानदार, प्रसन्न, खुशमिजाज, कला, सहित्य और अभिनय प्रेमी, बेहतरीन दोस्त और आदर्श जीवनसाथी होते हैं। जीवन में सकारत्मक विचारधारा से अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। आपका व्यक्तित्व दूसरों पर हावी रहता है परन्तु आप एक संवेदनशील व्यक्ति हैं जो दूसरों की मदद के लिए सदैव तैयार रहते है। इन्हे अधिक प्रेम व सम्मान मिलता है परन्तु अपनी चंचल बुद्धि के कारण आप अधिक वफादार नहीं होते हैं और कभी-कभी अनैतिक कार्यों में भी लिप्त हो जाते हैं। (Nakshtron ki jankari )
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र नाम अक्षर- भू,ध,फ, ढ़
21 उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक, Nakshatron ke charan
उत्तराषाढा में जन्मा जातक ऊँचे कद, गठीले शारीर ,चमकदार आँखे ,चौड़ा माथा और गौर वर्ण के साथ लालिमा लिए हुए होते हैं। सफल एवं स्वतंत्र व्यक्ति, मृदुभाषी और सभी से प्रेम पूर्वक व्यवहार आपमें स्वाभाविक हैं। ईश्वर में आस्था, जीवन में प्रसन्नता और मैत्री, आगे बढ़ने में विश्वास आदि आपकी खासियत है। विवाह उपरान्त जीवन में अधिक सफलता एवं प्रसन्नता होती है। ये लोग आशावादी और खुशमिजाज स्वभाव के होते हैं। नौकरी और व्यवसाय दोनों ही में सफलता प्राप्त करते हैं। ये लोग काफी धनी भी होते हैं।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के अक्षर- भे,भो,जा,जी
22 श्रवण नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, माता-पिता के लिए अपना सर्वस्व त्यागने वाले श्रवण कुमार के नाम पर ही इस नक्षत्र का नाम पड़ा है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों में कई विशेषताएं होती हैं जैसे कि इनका ईमानदार होना, इनकी समझदारी, कर्तव्यपरायणता,एक स्थिर सोच, निश्छलता और पवित्र व्यक्ति होते है। ये लोग माध्यम कद काठी परन्तु प्रभावी और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी है। आजीवन ज्ञान प्राप्त करने की लालसा और समाज के बुद्धिजीवियों में आप की गिनती होती है। ये लोग जिस भी कार्य में हाथ डालते हैं उसमें सफलता हासिल करते हैं। ये लोग कभी अनावश्यक खर्च नहीं करते, जिसकी वजह से लोग इन्हें कंजूस भी समझ बैठते हैं। आप दूसरों के प्रति बहुत अधिक स्नेह की भावना रखते हैं इसलिए औरों से भी उतना ही स्नेह व सम्मान प्राप्त करते हैं
श्रवण नक्षत्र नाम अक्षर- खी,खू,खे,खो
23 धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक, Nakshatron ke charan
धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मा जातक सभी गुणों से समृद्ध होकर जीवन में सम्मान और प्रतिष्ठा पाता है। ये लोग काफी उर्जावान होते हैं और उन्हें खाली बैठना बिल्कुल पसंद नहीं होता। ये स्वभाव से बहुत ही नरम दिल एवं संवेदनशील व्यक्ति होते हैं। दान और आध्यत्म होते हैं। आपका रवैया अपने प्रियजनों के प्रति बेहद सुरक्षात्मक होता है किन्तु फिर भी आप दूसरों के लिए जिद्दी और गुस्सैल ही रहते हैं। ये लोग अपनी मेहनत और लगन के बल पर अपनी मंजिल हासिल कर ही लेते हैं। इन्हें दूसरों को अपने नियंत्रण में रखना अच्छा लगता है और ये अधिकार भावना भी रखते हैं। इन्हें शांतिपूर्ण तरीके से अपना जीवन जीना पसंद है।
धनिष्ठा नक्षत्र नाम अक्षर– गा,गी,गू,गे
24 शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक Nakshatron ke charan
शतभिषा नक्षत्र में जन्मा जातक बहुत साहसी एवं मजबूत विचारों वाला होता है। शारीरिक श्रम न करके हर समय अपनी बुद्धि का परिचय देते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोग स्वच्छंद विचारधारा के होते है अत: साझेदारी की अपेक्षा स्वतंत्र रूप से कार्य करना पसंद करते हैं। ये लोग अत्यधिक सामर्थ्य, स्थिर बुद्धि और उन्मुक्त विचारधारा के होते हैं और मशीनी तौर पर जीना इन्हें कतई बरदाश्त नहीं होता। ये अपने शत्रुओं पर हमेशा हावी रहते हैं। समृद्धशाली होने के कारण अपने आस-पास के लोगों से सम्मान प्राप्त होता है।
शतभिषा नक्षत्र नाम अक्षर– गो,सा,सी,सू
शतभिषा नक्षत्र 4 चरण- Nakshatron ke charan
प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी बृहस्पति हैं। शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा जातक कुशल वक्ता होता है, शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी बृहस्पति शनि का शत्रु है और राहु का भी । अतः बृहस्पति की दशा अपेक्षित फल नहीं देगी। बृहस्पति में राहु व् शनि का अंतर कष्टदायी होगा। राहु की दशा उत्तम फल देगी।
शतभिषा नक्षत्र द्वितीय चरण Nakshatron ke charan : इस चरण का स्वामी शनि हैं।शतभिषा नक्षत्र के दूसरे चरण में जन्मा जातक अपने समाज के अग्रगण्य धनवानों में गिने जाते हैं। शतभिषा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि लग्नेश भी है अतः शनि की दशा शुभ फल देगी। राहु की स्वतंत्र दशा उत्तम फल देगी, परन्तु राहु में शनि या शनि में राहु की अन्तर्दशा शत्रु तुल्य कष्ट देगी।
शतभिषा नक्षत्र तृतीय चरण Nakshatron ke charan : इस चरण का स्वामी शनि हैं।शतभिषा नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्मा जातक अपने समाज में सुखी एवं संपन्न व्यक्ति होता है। शतभिषा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि लग्नेश भी है अतः शनि की दशा शुभ फल देगी। राहु की स्वतंत्र दशा उत्तम फल देगी, परन्तु राहु में शनि या शनि में राहु की अन्तर्दशा शत्रु तुल्य कष्ट देगी।
शतभिषा नक्षत्र चतुर्थ चरण, Nakshatron ke charan: इस चरण का स्वामी बृहस्पति हैं. शतभिषा नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मे जातक का पुत्र योग प्रबल होता है । शतभिषा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी बृहस्पति शनि का शत्रु है और राहु का भी. अतः बृहस्पति की दशा अपेक्षित फल नहीं देगी। लग्नेश शनि की दशा अन्तर्दशा जातक को उत्तम स्वस्थ्य व् उन्नत्ति देगी।
25 पूर्वाभाद्रपद में जन्म लेने वाले जातक
गुरु ग्रह के स्वामित्व वाले इस नक्षत्र में जन्में जातक सत्य और नैतिक नियमों का पालन करने वाले होते हैं। साहसी, दूसरों की मदद करने वाले, मिलनसार, मानवता में विश्वास रखने वाले, व्यवहार कुशल, दयालु और नेक दिल होने के साथ-साथ खुले विचारों वाले होते हैं। ये लोग आध्यात्मिक प्रवृत्ति के साथ-साथ ज्योतिष के भी अच्छे जानकार कहे जाते हैं। ये लोग अपने आदर्शो और सिद्धांतों पर ही आजीवन चलना पसंद करते हैं।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र नाम अक्षर– से,सो,दा,दी
26 उत्तराभाद्रपद में जन्म लेने वाले जातक
इस नक्षत्र में जन्में लोग हवाई किलों या कल्पना की दुनिया में विश्वास नहीं करते। ये लोग बेहद यथार्थवादी और हकीकत को समझने वाले होते हैं। व्यापार हो या नौकरी, इनका परिश्रम इन्हें हर जगह सफलता दिलवाता है। त्याग भावना, स्वभाव से एक दयालु धार्मिक होने के साथ-साथ वैरागी भी होते हैं। समाज में एक धार्मिक नेता, प्रसिद्द शास्त्र विद एवं मानव प्रेमी के रूप में प्रख्यात होते है। कोमल हृदयी हैं एवं दूसरों के साथ सदैव सद्भावना के साथ-साथ दुर्व्यवहार करने वाले को क्षमा और दिल में किसी के प्रति कोई द्वेष नहीं रखते।
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र नाम अक्षर– दू,थ,झ,ण
चंद्रमास : चंद्रमा की कला की घट-बढ़ वाले दो पक्षों (कृष्ण और शुक्ल) का जो एक मास होता है वही चंद्रमास कहलाता है। चंद्रमास तिथि की घट-बढ़ के अनुसार 29, 30, 28 एवं 27 दिनों का भी होता है। कुल मिलाकर यह चंद्रमास 355 दिनों का होता है। सौर-वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है चंद्र-वर्ष इसीलिए हर 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है। सौरमास 365 दिन का होता है। सौर्य और चंद्र मास में 10 दिन का अंतर आता है। इन दस दिनों को चंद्रमास ही माना जाता है। फिर भी ऐसे बड़े हुए दिनों को ‘मलमास’ या ‘अधिमास’ कहते हैं।
Nakshatron ke charan चंद्र महीनों के नाम पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहता है:-
1.चैत्र : चित्रा, स्वाति।
2.वैशाख : विशाखा, अनुराधा।
3.ज्येष्ठ : ज्येष्ठा, मूल।
4.आषाढ़ : पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, सतभिषा।
5.श्रावण : श्रवण, धनिष्ठा।
6.भाद्रपद : पूर्वभाद्र, उत्तरभाद्र।
7.आश्विन : अश्विन, रेवती, भरणी।
8.कार्तिक : कृतिका, रोहणी।
9.मार्गशीर्ष : मृगशिरा, उत्तरा।
10.पौष : पुनर्वसु, पुष्य।
11.माघ : मघा, अश्लेशा।12.फाल्गुन : पूर्वाफाल्गुन, उत्तराफाल्गुन, हस्त।
आकाश में स्थित तारा-समूह को नक्षत्र कहते हैं। साधारणत: ये चन्द्रमा के पथ से जुडे हैं। नक्षत्र से ज्योतिषीय गणना करना वेदांग ज्योतिष का अंग है। नक्षत्र हमारे आकाश मंडल के मील के पत्थरों की तरह हैं जिससे आकाश की व्यापकता का पता चलता है। वैसे नक्षत्र तो 88 हैं किंतु चन्द्रपथ पर 27 ही माने गए हैं। जिस तरह सूर्य मेष से लेकर मीन तक भ्रमण करता है, उसी तरह चन्द्रमा अश्विनी से लेकर रेवती तक के नक्षत्र में विचरण करता है तथा वह काल नक्षत्र मास कहलाता है। यह लगभग 27 दिनों का होता है इसीलिए 27 दिनों का एक नक्षत्र मास कहलाता है।
Gandmool Puja Samgri List
प्रश्न: नक्षत्र और उसके चरण क्या होते हैं?
उत्तर: नक्षत्र एक विशेष तारा मंडल होता है जो हिन्दू ज्योतिष में उपयोग होता है। इसमें 27 मुख्य नक्षत्र होते हैं, जो चंद्रमा के पथ पर स्थित होते हैं। इन नक्षत्रों का समूह बनाता है जिसे ‘नक्षत्र’ कहा जाता है।
चरणों का मतलब है एक नक्षत्र को चार भागों में विभाजित करना। इससे नक्षत्र का कुल 108 चरण होते हैं, क्योंकि प्रत्येक नक्षत्र में 4 चरण होते हैं। चरण नक्षत्र की पहचान में महत्वपूर्ण होते हैं और इन्हें कुंडली में देखकर ज्योतिषी व्यक्ति के गुण, स्वभाव, और भविष्य का विश्लेषण करते हैं।
प्रश्न: नक्षत्र और चरण का क्या महत्व है?
उत्तर: नक्षत्र और चरण व्यक्ति की कुंडली में उनके स्वभाव, गुण, और भविष्य का विश्लेषण करने में महत्वपूर्ण होते हैं। नक्षत्र चंद्रमा की स्थिति को दर्शाता है और चरण इसे और विशेष बनाते हैं। चरण द्वारा व्यक्ति के स्वभाव और कर्मों का विश्लेषण किया जा सकता है। इससे व्यक्ति को अपने जीवन में बेहतर निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।
प्रश्न: नक्षत्र और चरण कैसे निर्धारित होते हैं?
उत्तर: नक्षत्र और चरण व्यक्ति के जन्म के समय के आधार पर निर्धारित होते हैं। ज्योतिषी व्यक्ति की कुंडली बनाते समय इन तारीखों का ध्यान रखते हैं और उसके आधार पर नक्षत्र और चरण की गणना करते हैं। यह जन्मपत्र बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम है जो व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है।
प्रश्न: नक्षत्र और चरण का क्या प्रभाव होता है व्यक्ति के जीवन पर?
उत्तर: नक्षत्र और चरण व्यक्ति के व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास पर प्रभाव डालते हैं। इनके माध्यम से ज्योतिषी व्यक्ति के स्वभाव, रुचियां, और कर्मों को समझते हैं, जिससे वे उसके जीवन के मुख्य क्षेत्रों में मार्गदर्शन कर सकते हैं। नक्षत्र और चरण का अध्ययन व्यक्ति को उसके धार्मिक और सामाजिक संबंधों को समझने में भी मदद करता है।
प्रश्न: क्या सभी लोगों का एक ही नक्षत्र और चरण होता है?
उत्तर: नहीं, हर व्यक्ति का नक्षत्र और चरण अनूठा होता है, जो उनके जन्मकुंडली के अनुसार निर्धारित होता है। चंद्रमा की स्थिति और नक्षत्र का चयन व्यक्ति के जन्म समय के आधार पर होता है, जिससे प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली विभिन्न होती है।
प्रश्न: नक्षत्र और चरण के अलावा भी कौन-कौन से ज्योतिषीय तत्व होते हैं?
उत्तर: ज्योतिष में कई और तत्व होते हैं जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं, जैसे की ग्रह, भाव, और योग। इन सभी तत्वों का समाधान करके ज्योतिषी व्यक्ति के भविष्य और व्यक्तिगत विकास की दिशा में मदद कर सकते हैं।
प्रश्न: चंद्रमा की स्थिति और नक्षत्र कैसे हमारे भविष्य को प्रभावित करती हैं?
उत्तर: चंद्रमा की स्थिति और नक्षत्र व्यक्ति के भावनात्मक स्थिति, विचारशीलता, और आत्मा की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नक्षत्र के द्वारा ज्योतिषी व्यक्ति के रोजगार, स्वास्थ्य, परिवार, और आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करते हैं, जबकि चंद्रमा की स्थिति उनकी भावनाओं और संबंधों को प्रभावित करती है।
प्रश्न: नक्षत्र और चरण के आधार पर कैसे कुंडली बनती है?
उत्तर: ज्योतिषी व्यक्ति की कुंडली बनाते समय उनके जन्म समय, जन्म स्थान, और जन्म तिथि का ध्यान रखते हैं। इन तारीखों के आधार पर नक्षत्र और चरण की गणना की जाती है, जो फिर व्यक्ति की कुंडली में प्रत्येक ग्रह, भाव, और योग के साथ मेल खाते हैं।
प्रश्न: ज्योतिष में नक्षत्र और चरण की उपयोगिता क्या है?
उत्तर: नक्षत्र और चरण व्यक्ति को स्वयं को समझने, अच्छे निर्णय लेने, और उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करते हैं। इनके माध्यम से ज्योतिषी व्यक्ति को सुझाव दे सकते हैं जो उसके भविष्य और व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
प्रश्न: गंडमूल नक्षत्र क्या हैं? (GANDMOOL NAKSHTRAS)
उत्तर: गंडमूल नक्षत्र वह नक्षत्र हैं जो चंद्रमा की स्थिति के कारण किसी कुंडली में दोष के रूप में गिने जाते हैं। ये नक्षत्र चंद्रमा के पथ पर आने वाले पाँच नक्षत्रों को कहा जाता है – अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, और मूल। गंडमूल नक्षत्र के दो चरण होते हैं।
प्रश्न: गंडमूल नक्षत्र के दोष क्या होते हैं?
उत्तर: गंडमूल नक्षत्र के दोष का महत्वपूर्ण प्रभाव चंद्रमा पर आता है, जिससे कुंडली में आने वाले योग और दशा में परिस्थितियों पर असर होता है। इसे शनि ग्रह के साथ जब चंद्रमा होता है, गंडमूल दोष कहा जाता है। इसे कुछ स्थितियों में पूजन और उपायों के माध्यम से शांत किया जा सकता है।
प्रश्न: गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव कैसे देखा जाता है?
उत्तर: गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव कुंडली में देखकर ज्योतिषी व्यक्ति के जीवन में अधिक चुनौतीपूर्ण समयों का अनुमान लगा सकते हैं। चंद्रमा की स्थिति और शनि के साथी होने पर गंडमूल दोष का प्रभाव अधिक हो सकता है। इससे व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य, और परिवार में कुछ समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
प्रश्न: गंडमूल नक्षत्र से बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर: गंडमूल नक्षत्र के दोष से बचाव के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि मंत्र जाप, दान, पूजा, और व्रत आदि। व्यक्ति को अपने इष्टदेवता की पूजा और शनि देव की श्रद्धाभावना करनी चाहिए ताकि उनका प्रभाव कम हो सके।
प्रश्न: क्या गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव सभी लोगों पर एक समान होता है?
उत्तर: नहीं, गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव सभी लोगों पर एक समान नहीं होता है। इसका प्रभाव व्यक्ति की कुंडली, शनि ग्रह के स्थिति, और अन्य ग्रहों के संयोजन के आधार पर बदल सकता है। ज्योतिषी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर उपाय सुझा सकते हैं जो उसे गंडमूल नक्षत्र के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
प्रश्न: क्या गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव सिर्फ नकारात्मक होता है?
उत्तर: नहीं, गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव सिर्फ नकारात्मक नहीं होता। यह व्यक्ति को सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी सामर्थ्य प्रदान कर सकता है, अगर उचित उपायों का पालन किया जाए। इससे व्यक्ति को जीवन में संघर्षों का सामना करने की क्षमता भी मिल सकती है।
प्रश्न: गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव कैसे शांत किया जा सकता है?
उत्तर: गंडमूल नक्षत्र के प्रभाव को शांत करने के लिए व्यक्ति को शनि देवता की पूजा, मंत्र जाप, दान, और व्रत आदि करने चाहिए। व्यक्ति को अपने इष्टदेवता की उपासना करनी चाहिए और अच्छे कर्मों में लगना चाहिए। यह उपाय व्यक्ति को गंडमूल नक्षत्र के दोषों से मुक्ति प्रदान कर सकते हैं।
प्रश्न: गंडमूल नक्षत्र से जुड़ी किसी महत्वपूर्ण दिनांक या कार्य की चर्चा है?
उत्तर: हां, गंडमूल नक्षत्र के दिनों में किसी भी महत्वपूर्ण कार्य या पुनर्निर्माण के लिए ज्यादातर लोग नहीं चाहते हैं क्योंकि इस समय में चंद्रमा ग्रह की स्थिति कारगर नहीं होती है। विशेषकर शुभ कार्यों के लिए इस समय से बचने का प्रयास किया जाता है।
प्रश्न: क्या गंडमूल नक्षत्र से संबंधित कोई परंपरागत उपाय हैं?
उत्तर: जी हां, गंडमूल नक्षत्र के दोषों को शांत करने के लिए कई परंपरागत उपाय किए जाते हैं। इनमें शनि देवता की पूजा, मंत्र जाप, दान, और व्रत शामिल हो सकते हैं। इन उपायों का पालन करने से गंडमूल नक्षत्र के किसी भी प्रभाव को कम किया जा सकता है।
प्रश्न: गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव किस प्रकार देखा जा सकता है?
उत्तर: गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में विभिन्न पहलुओं में दिखाई दे सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य, विद्या, परिवार, और पेशेवर स्थिति में। इसका प्रभाव किसी व्यक्ति की कुंडली के अनुसार बदल सकता है, इसलिए ज्योतिषी को व्यक्ति के जन्म कुंडली का विशेष ध्यान देना होता है।
प्रश्न: क्या गंडमूल नक्षत्र के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय बताए जा सकते हैं?
उत्तर: जी हां, गंडमूल नक्षत्र के प्रभाव को कम करने के लिए व्यक्ति को शनि देवता की पूजा, व्रत, मंत्र जाप, और दान करने चाहिए। इन उपायों से गंडमूल नक्षत्र के दोषों को शांत करने में मदद हो सकती है और व्यक्ति को सुख-शांति की प्राप्ति हो सकती है।
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बहुत अच्छी जानकारी है।
गूढ ज्योतिष ज्ञान का अत्यंत रोचक एवं सरल प्रस्तुतीकरण… ज्ञानवर्धन हेतु कोटि कोटि धन्यवाद
jankari har manushay ke kam aane wali hai. dhanayvad.
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संतुष्टि की सीमा के निकट प्रतीत होते हैँ