कनाडा (भृगुपंडित) शनिदेव के बारे में लोगों में बहुत ही भ्रांतियां फैली हैं। शनिदेव के प्रकोप से हर कोई बचना चाहता है। कहते हैं न सब दिन होत न एक समान। The relation of age, life, calamity, cunning, disease, theft, robbery, robbery, business etc. is considered with Shani. Saturn is the factor of 6,8,10,12, houses.
इस जग में जो प्राणी आया है उसे अपने किए कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है।
वह इससे बच नहीं सकता। हां योग, भक्ति, ध्यान, दान आदि से वह अपने कष्टों से निवारण पा सकता है। उसे अपने किए गए कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है।
इन कर्मों का साया उसकी संतानों पर भी पड़ता है। आपने देखा होगा अधिकतर धनवान लोग अपना जीव ऐशवर्य
विलासिता से जीते हैं लेकिन जब वे बिस्तर पर पड़ते हैं तो सालों पड़े ही रहते हैं, कई तेज रफ्तार से काल का ग्रास हो जाते हैं।कई सारी जिंदगी धन ही कमाते रहते हैं उसका उपभोग
भी नहीं कर पाते। यही है शनि के प्रभाव में आने के बाद उतार-चढ़ाव। आईए शनिदेव के बारे में जानते हैं, इनका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और कैस हम छोटे
से उपाय करके अपना जीवन सुखमय बना सकते हैं।
Shani मकर व कुम्भ राशि का स्वामी है। कुंडली में यह दसवें व ग्यारहवें भावका स्वामी है। दसवां भाव पिता, रोजगार, कारोबार, मेहनत, मान सम्मान आदि से संबंधित है। शनि सब पर
प्रभाव डालता है तथा कारक भी है। शनि सूर्य के चारों ओर चक्कर साढ़े 29 वर्षों में लगाता है। राशि चक्कर भी यह 29 वर्ष 40 दिन में पूरा करता है। शास्त्रों में इसे सूर्य पुत्र कहा जाता है।
shani ko पिता से न बनने के कारण इसे गरसे निकाल दिया गया। वनवास में इसने धरती कोस्वर्ग जैसा बना दिया। गोचर में भी जब शनि वक्री होता है तो अपना प्रभाव डालता है।
मजदूरों में बेचैनी आम देखी जाती है। शनि के वक्री होने पर नौकरी से निकाला जाना, रैंक कम हो जाना आदि होता है। शनि तुला राशि में उच्च का व तुला का स्वामी शुक्र है जो विलासिता व
सुंदरता,प्रेम का प्रतीक है।
शनि Shani से क्या-क्या विचारना है- शनि से आयु, जीवन, विपत्ति,चालाकी बीमारी,चोरी, डाका, लूट खसूट,व्यापार आदि का संबंध विचार किया जाता है। शनि 6,8,10,12, भावों का कारक है
।
रोग- इसका प्रभाव टांगों, बालों, बोलचाल पर पड़ता है। आंखों की नजर कमजोर होना, गठिया, गैस रोग, पेट दर्द, हड्डी, लकवा आदि शनि के अधीन आते हैं।
निशानी- अचानक आग लग जाए,छत से मिट्टी गिरने लगे, अचानक कोई पालतु पशु मर जाए, कपड़े अचानक जल जाएं तो शनि नेगेटिव माना जाता है।
शनि पाठ करने व शनि मंदिर में तेल, लोहा, साबुत मांह चढ़ाने से नेगेटिव प्रभाव कम कर सकते हैं।
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